पाराशर मंदिर हिमाचल प्रदेश के मंडी कसबे से 45 km एवम कुल्लू से 70 km दूर स्थित हैं,
पराशर मंदिर का निर्माण मंडी के राजा बानसेन ने 14 सताब्दी में करवाया था।
यह मंदिर स्लेट की छत से बना हुआ हैं, इस मंदिर के परिसर में एक अत्यंत ही सुन्दर झील
एक लकड़ी की गुफा एवम एक प्राचीन मंदिर हैं।
1. पाराशर मंदिर

2. पाराशर झील
3. पाराशर गुफा
ये माना जाता हैं की यहाँ की सारी बीमारियाँ महारिषि पाराशर ही दूर करते हैं, ऐवं यहाँ एक छोटा सा टापु भी
हैं जो झील के बीच में हैं।
ऐसा माना जाता हैं की वशिस्ठ ऋषि के पौत्र मह्रिषी पाराशर जिन्हें स्थानीय लोग
पडासर भी कहते हैं यहाँ पर आये एवम तपस्या करके धरती से पानी निकाल दिया जिस वजह से ये झील हैं।
ये पूरा क्षेत्र एक पहाड़ी इलाका हैं अवम सर्दियों में जब ये बर्फ से ढक जाता तो एक मनोरम नजारा पेश करता हैं।
इस मंदिर के निर्माण के बारे में एक धारणा ये भी हैं की इस का निर्माण एक 6 महीने के बच्चे ने प्रारंभ किया और 18 वर्ष की आयु में समाप्त किया। ये पगोडिया स्टाइल का लकड़ी का मंदिर हैं।जो की देवदार लकड़ी से बनाया गया है।
यहाँ पर हर वर्ष 13 से 15 जून को एक मैला भरता हैं जिसमे कई सैलानी देश विदेश से आते हैं।
एक निवेदन:
ये सारी जानकारिय इन्टरनेट से झूटाई गई हैं जिसमे और सुधार अपेक्षित हैं इसमें रही त्रुटियों की लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं एवम सुधार के लिए आपके सुझाव आमंत्रित हैं जिससे हम पाराशर समाज को और आगे ले जा सके।
जय पराशर
पराशर मंदिर का निर्माण मंडी के राजा बानसेन ने 14 सताब्दी में करवाया था।
यह मंदिर स्लेट की छत से बना हुआ हैं, इस मंदिर के परिसर में एक अत्यंत ही सुन्दर झील
एक लकड़ी की गुफा एवम एक प्राचीन मंदिर हैं।
1. पाराशर मंदिर

2. पाराशर झील
3. पाराशर गुफा
ये माना जाता हैं की यहाँ की सारी बीमारियाँ महारिषि पाराशर ही दूर करते हैं, ऐवं यहाँ एक छोटा सा टापु भी
हैं जो झील के बीच में हैं।
ऐसा माना जाता हैं की वशिस्ठ ऋषि के पौत्र मह्रिषी पाराशर जिन्हें स्थानीय लोग
पडासर भी कहते हैं यहाँ पर आये एवम तपस्या करके धरती से पानी निकाल दिया जिस वजह से ये झील हैं।
ये पूरा क्षेत्र एक पहाड़ी इलाका हैं अवम सर्दियों में जब ये बर्फ से ढक जाता तो एक मनोरम नजारा पेश करता हैं।
इस मंदिर के निर्माण के बारे में एक धारणा ये भी हैं की इस का निर्माण एक 6 महीने के बच्चे ने प्रारंभ किया और 18 वर्ष की आयु में समाप्त किया। ये पगोडिया स्टाइल का लकड़ी का मंदिर हैं।जो की देवदार लकड़ी से बनाया गया है।
यहाँ पर हर वर्ष 13 से 15 जून को एक मैला भरता हैं जिसमे कई सैलानी देश विदेश से आते हैं।
एक निवेदन:
ये सारी जानकारिय इन्टरनेट से झूटाई गई हैं जिसमे और सुधार अपेक्षित हैं इसमें रही त्रुटियों की लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं एवम सुधार के लिए आपके सुझाव आमंत्रित हैं जिससे हम पाराशर समाज को और आगे ले जा सके।
जय पराशर
Dear Brother....
ReplyDeleteIts a very good creation, we can know many more things about Parashar Rishi, About Parashar's history by this blog, realy m heartly appreciating this blog.
Its a good job
Kindly Keep it up..
--Arya Parashar
Email- aryaparashararya@gmail.com
+91 8080430755
thnx for your appricition, we will hope to your response in future too..
Deletehey I have heard about this its really awesome, 1 more thing want to add in it that, That part of stone which is floating in the lake also know as the floating stone (something name).
ReplyDeleteme with my family will visit this location in next summer
thanks
Prakash for wonderful shareing
Thanx for your appreciation and sugession, we will consider it and add in our blog.
ReplyDeleteye bahut hi achha and upyogi site hin, jiske jariye hume tym to tym upyogi jankariya milti rhti hain,
ReplyDeleteish site s hamey hamey Parashar rishi g k barey m poori jankari milti hai...mai youth parashar site bahut-2 thanks karta hu.....Bharat Bhushan Parashar...
ReplyDeleteThanks for your appreciations..
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